Aadhya singh

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Sharma enterprise

Sharma interprises

दिल्ली शहर कि सबसे  बडी और सबसे खूबसूरत बिल्डिंग  , काँच की बनी बीस मिले कि बिल्डिंग से आप पूरे दिल्ली को निहार सकते हो  । । उसी बिल्डिंग के बाहर
एंटर्स पर बडे अक्षर मे लिखा था शर्मा इंटरप्राइसिस ,, पूरे एशिया कि टाॅप बिजनेस फिल्ड का एक नामी गनामी नाम  । ।

इसी बिल्डिंग के पंद्रहवाँ मिले मे अपने लगजीरियस कमरे मे आराम से चैयर पर बैठा वो शख्स अपने नजरे गढाएँ हुए सक्रीन को घूर रहा था  । । उसकी उंगलियाँ लगातार कीबोर्ड पर चढ रही थी  । । अपनी ढाढी पर हाथ फेरते हुए वो फिर से काम मे जुट जाता  । उसकी भूरी आँखे बडी गोर से सक्रीन को घूर रही थी  । उसके माथे पर त्योरियाँ छाई हुई थी  । कुछ सोच वो शख्स अपने इंटर्काॅग को उठा फोन मिलाते हुए अपने कान से लगाकर बोला  " where is marketing field report?  ( मार्किटिंग फिल्ड कि रिपोर्ट किदधर है ? " )
" सर वो  .. "

" I give you half hours  if this department file is not on my table,,  you can collect your resignation letter from my table  "

अगर आधे घण्टे के अंदर मुझे रिपोर्ट नही मिली तो अपना रिसाइन मेरे टैबल से ले जाना  । ।

इतना कह वो बिना दूसरी ओर कि बात सुने फोन रख फिर से लैपटाॅप पर बिजी हो जाता है  । । वो काम मे व्यस्त था कि तभी उसके डाॅ पर नाॅक होता है  । ।

" कम इन एंड गीव मी फाइल  " वो बिना सामने खडे शख्स कि ओर देखे अपना हाथ आगे कि ओर बढाए हुए बोला  । ।

सामने खडा इंसान उसके हाथ पर जोर से ताली मारते हुए  बोला  " कमीने  लोग अपने दोस्तो को चाय पानी पूछते है ओर तू मुझे फाइल माँग रहा है  "

वो अपनी नजरे उठा कर सामने खडे शख्स को देखता है कलीन शैव,  गोरा रंग  , काली आँखे।  उसने ब्लैक शर्ट के साथ ओलिव पैंट पहनी हुई थी  । ।  " राहुल  .. " वो शख्स जल्दी से उठ अपने दोस्त के गले मिलते हुए  । । राहुल जोर कि थपकी उसकी कमर पर मार  " साले लोग अपनी पढाई खत्म कर जब आते है तो दोस्तों से मिलते हैं  ,कुछ इंजोय करते हैं  लेकिन तू मिलना तो दूर कि बात है फोन तक नही किया  । तुझे काम का शौक कब से लग गया बेटा  .. " राहुल टैबल पर फैली फाइल को देख अपने सामने खडे दोस्त से जो अपनी पीठ सहला रहा था  । ।

" कमीने  .. इतनी तेज कौन मारता है  " वो शख्स राहुल कि ओर देख  । ।

" कमीने ये तो कुछ नही जो तूने किया है न उसके लिए तो मै तुझे पंचीग बैग कि तरह धोना चाहता था फिर मुझे ख्याल आया शर्मा अंकल का बेटा बडा नाजुक है एक पंच मे ही तू हाॅस्पीटल तक पहुँच जाता और मेरे पास इतने पैसे नहीं कि मैं तेरी मरहम पट्टी मे खर्च करूँ  । । " राहुल उसके केबिन मे घुमते हुए  । ।

" हो गया तेरा  तू बैठ  और बता क्या लेगा काॅफी या जुस या कुछ ओर  ... " वो शख्स इंटर्काॅग कि ओर बढते हुए  । ।

" या दिल तो वीसकी का है लेकिन मै काॅफी से काम चला लूँगा क्योकि मुझे यहाँ आना बंद नही करवाना वरना एम डी साहब गेट से ही आगे से भगा देगे   " राहुल कानो के हाथ लगाते हुए  । ।

" नौटंकी  .. " इतना कह वो दो कप काॅफी का आॅडर दे देता है  । । कुछ पल बाद काॅफी टैबल पर थे  । । वो दोनो काॅफी का कप उठाकर लबो से लगाते हुए  " यार तुम्हारे यहाँ कि काॅफी तो मस्त है।  अगर मुझे पहले पता होता तो मै बाहर क्यो कैफे मे पैसे फूँकता।  अब तो जब भी काॅफी
का दिल होगा बस यही आ जाऊँगा  " राहुल कि बात सुन वो बस मुस्कुरा उठता है  । ।

" और बता कैसा है ओर क्या चल रहा है  " वो राहुल कि ओर देख एक सीप लेते हुए  । ।

" मै तो मस्त और बस अब तो जीम ट्रैनर बन गया हूँ  । अपनी जीम है  । सच मे यार इससे बढियाँ नौकरी कही नही है सुबह से शाम तक सुंदर सुंदर कन्याएँ जब आपके गिर्द मंडराती है  । । " राहुल अपनी सोच मे खोते हुए  । ।

" कमीने शर्म तो नही आती मेरा खून जलाते हुए  । खुद तो अच्छा काम कर लिया और मै  ... " वो फूकते हुए  ।

" हाँ तू बता तू यहाँ कैसे  तूने तो मेरे साथ  पार्टनरशिप करनी थी ये शर्मा इंटरप्राइसिस के मालिक की बीजनैस आत्मा तेरे अंदर कब आई  । कौन से बीजनसमैन के कुत्ते ने तुझे काँटा जो तूने आॅफिस जाॅइन कर लिया  । । "
राहुल उसकी ओर देख बोला  । ।

" कुत्ते ने नही काटा बस किस्मत ने मार दिया  । । " वो शख्स राहुल के कंधे पर सिर रखे  । ।

" यार तुझे सच बताऊँ जब मैने बाहर केबिन के नाम पढा सी ई ओ  पार्थ शर्मा एक घण्टे तक मेरी हँसी नही रुकी फिर जब अंदर आकर तुझे काम करता देखा तो जोर का झटका लगा पूरा कि तू और काम  वो भी बीजनैस मुझे तो यकीन नही हुआ कि जो लडका ग्यारहवी मे काॅमर्स लेने पर बगावत पर उतर आया था जिसे लंडन एम बीए के लिए नही बल्कि वहाँ कि ब्यूटिस के लिए जाना था वो सी ई ओ बन गया  । । सच बता कोई बुखार तो नही चढ गया था दिमाग पर या चौरहा पार करते वक्त चुडैल चिमड गई थी तुझे पार्थ  । । " राहुल उसके चेहरे को सहलाते हुए  । ।

" बडी दुःख भरी कहानी है यार वरना मे भी भला अपनी ब्यूटिस को अओबसर्व करने कि जगह यहाँ बैठ कर फाइल को घुर रहा होता  " पार्थ सडा सा मुड बनाएँ  ।

" यार तू सस्पैंस क्यो बना रहा है सीधा सीधा मुद्दे पे आ :
" राहुल टीपीकल आंटियो कि तरह जो सब कूछ जानने को आतुर रहती है  । 

क्रमशः
आध रा
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आगे कि पार्थ कि कहानी अगले भाग मे जानेगे कि ऐसा क्या हुआ जिसे बिजनैस से प्यार नही वो आज सी ई ओ कैसे बन गया  । ।

मिलेगे जल्द   । 

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